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Monday, 25 March 2024

आ रंग दूं

 आ रंग दूं 

Pic By Google 

ऐ मेरी राधा
आ रंग दूं,
धीरे धीरे से
तेरी स्वेत गलियां ।
ऐसा रंग लगाऊं 
ऐसा रंग चढ़ाऊं 
मेरा खुद का 
श्याम रंग भी
लागे फीका फीका।
तू जितना उतारे 
रगड़ रगड़ के 
वो चढ़ता जाए
बिच्छू विष समाना।
तेरे लाल होठों 
को छू के 
एक एक करके 
बस निकले गालियां।
मेरे लिए तो
बस यही है
तेरी वो बलायियां।
जिसे सुनने को
जिसे पाने को
मैं हर बार
जनम लू यहां ।
जब भी मिले 
रंग दूं मैं 
धीरे धीरे से 
तेरी स्वेत गलियां।
ऐ मेरी राधा
आ रंग दूं।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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